धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्वामी मुरगन की पूजा करने से व्रती अपने जीवन में हमेशा विजयी होता
है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आज वैकासी विसाकम है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। आज के दिन
स्वामी मुरगन की पूजा की जाती है। तमिल पंचांग के अनुसार, इस दिन स्वामी मुरगन यानी भगवान
कार्तिकेय का जन्म हुआ है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्वामी मुरगन की पूजा करने से व्रती अपने
जीवन में हमेशा विजयी होता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दक्षिण भारत में इस पर्व को
बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
आज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन भर है। अतः व्रती किसी भी समय स्वामी मुरगन की पूजा उपासना
कर सकते हैं। इस दिन तिथि शाम में 6 बजकर 37 मिनट तक है।
पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में जब तारकासुर का आतंक बढ़ गया। उस समय तीनों लोक में
हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने शिव जी की आराधना और उपासना की। इससे प्रसन्न होकर शिव
जी ने उन्हें वरदान दिया कि जल्द ही माता पार्वती की गर्भ से कार्तिकेय का जन्म होगा, जो आपके
सेनापति होगा। उनके नेतृत्व में देवताओं ने तारकासुर पर विजय प्राप्त की। भगवान कार्तिकेय ने
तारकासुर का वध करके देवताओं को दानवों से मुक्ति दिलाई। तमिल पंचांग के अनुसार, जिस दिन
भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ, उस दिन वैकासी विसाकम का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर व्रत
संकल्प लें। अब भगवान शिव जी, माता पार्वती एवं भगवान कार्तिकेय की पूजा फल, फूल, धूप-दीप,
अक्षत चंदन और दूर्वा से करें। जब आप पूजा करें तो ॐ श्रवणः भव्यः नमः मंत्र का जरूर जाप करें।
भगवान कार्तिकेय को अभिषेकम के लिए कच्चे दूध का उयपोग किया जाता है। दिन भर उपवास रखें।
इसके बाद शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।